केंद्रीय जल शक्ति मंत्री ने नमामि गंगे कार्यक्रम की प्रगति की समीक्षा की

नई दिल्ली: केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने नई दिल्ली में राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन की 11वीं अधिकारिता कार्य बल (ईटीएफ) बैठक की अध्यक्षता की। इस बैठक में उन्होंने नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत विभिन्न घटकों की प्रगति की समीक्षा की। इसके अलावा केंद्रीय मंत्री ने नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) के कार्यालय में निगरानी केंद्र- प्रयाग- की भी शुरुआत की। यह यमुना, गंगा और उनकी सहायक नदियों के रियल टाइम विश्लेषण के लिए है। प्रयाग विभिन्न ऑनलाइन डैशबोर्ड के माध्यम से परियोजनाओं, नदी जल गुणवत्ता आदि की योजना और निगरानी के लिए एक रियल टाइम निगरानी केंद्र है। इनमें गंगा तरंग पोर्टल, ऑनलाइन ड्रोन डेटा के जरिए जाजमऊ संयंत्र, पीएमटी उपकरण डैशबोर्ड, गंगा जिला प्रदर्शन निगरानी प्रणाली आदि शामिल हैं। इसके अलावा केंद्रीय मंत्री ने कॉमिक सीरिज ‘चाचा चौधरी के साथ, गंगा की बात’ का भी विमोचन किया।

इस बैठक के दौरान गजेंद्र सिंह शेखावत ने अधिकारियों को गंगा नदी के किनारे स्थित विभिन्न उद्योगों द्वारा ताजे जल के उपयोग का अध्ययन करने और तापीय विद्युत संयंत्र, तेल परिशोधनशालाओं (रिफाइनरी), रेलवे और अन्य उद्योगों में उपचारित अपशिष्ट जल के फिर से उपयोग के लिए एक समग्र कार्य योजना तैयार करने का निर्देश दिया। इससे पहले 5 जनवरी 2023 को गजेंद्र सिंह शेखावत ने उपचारित जल के फिर से सुरक्षित उपयोग पर एनएमसीजी द्वारा तैयार राष्ट्रीय ढांचे को लॉन्च किया था। यह ढांचा उपचारित जल के फिर से उपयोग पर राज्य की नीतियों को तैयार करने के लिए एक मार्गदर्शक दस्तावेज के रूप में कार्य करता है। उत्तर प्रदेश ने सूचित किया है कि उद्योगों के लिए अपने अपशिष्ट जल के उपचार व इसके 80 फीसदी हिस्से का फिर से उपयोग करने और ताजे जल की अपनी जरूरत को कम करने को अनिवार्य किया गया है। इस बैठक में इस पर जोर दिया गया कि उद्योगों को धीरे-धीरे उपचारित जल के उपयोग की ओर बढ़ना चाहिए, जिससे ताजे जल का उपयोग कम से कम हो सके।

इसके अलावा केंद्रीय मंत्री ने एनएमसीजी व आवास और शहरी कार्य मंत्रालय के अधिकारियों को शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में एनएमसीजी द्वारा चिन्हित लगभग 2000 नालों की सफाई के लिए एक समग्र रणनीति तैयार करने का भी निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि स्वच्छ भारत मिशन के तहत आवास और शहरी कार्य मंत्रालय के समन्वय से एक समग्र योजना तैयार कर इन नालों की जल्द से जल्द सफाई की जानी चाहिए। इसके अलावा अप्रयुक्त नालों की पहचान करना और उनकी सफाई करना भी जिला गंगा समितियों (डीजीसी) के लिए शीर्ष एजेंडा है। अप्रैल, 2022 में ‘डीजीसी के प्रदर्शन निगरानी प्रणाली के लिए डिजिटल डैशबोर्ड’ की शुरुआत के बाद डीजीसी के प्रदर्शन में सुधार हुआ है। अप्रैल, 2022 से मार्च, 2023 की अवधि में कुल 1,157 मासिक बैठकें आयोजित की गईं और इन बैठकों के ब्यौरे अपलोड किए गए। इनमें उत्तर प्रदेश में कुल 741 बैठकें हुईं, जहां सबसे अधिक डीजीसी (75) है। वहीं, जनवरी, 2023 के दौरान अधिकतम 112 बैठकें आयोजित हुईं। इसके अलावा मंत्री ने पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अधिकारियों से प्रोजेक्ट डॉल्फिन के कार्य में तेजी लाने का भी अनुरोध किया।

इस बैठक के दौरान केंद्रीय मंत्री को इसकी जानकारी दी गई कि अर्थ गंगा अभियान के तहत गंगा के किनारे नए पर्यटन स्थलों को विकसित करने के लिए कला और सांस्कृतिक विरासत के लिए भारतीय राष्ट्रीय ट्रस्ट (इनटैक) की एक रिपोर्ट सभी संबंधित जिला गंगा समितियों (डीसीजी) के साथ साझा की गई है। इसमें अर्थ गंगा ट्रेल्स, होम-स्टे, गाइड प्रशिक्षण आदि के विकास पर जोर दिया गया है। इसके अलावा अर्थ गंगा को बढ़ावा देने के लिए दिसंबर, 2022 में पर्यटन मंत्रालय और संस्कृति मंत्रालय के साथ समझौते (एमओयू) पर भी हस्ताक्षर किए गए हैं।

साथ ही, इसकी भी जानकारी दी गई कि केंद्रीय अंतर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान (सीआईएफआरआई) पिछले चार वर्षों से नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत गंगा में फरक्का बैराज के अपस्ट्रीम हिस्से में हिलसा मछली संरक्षण और मत्स्यपालन (रैन्चिंग) कार्यक्रम की दिशा में ठोस प्रयास कर रहा है। इसके प्रवास को समझने के लिए पाली गई मछलियों को टैग किया जा रहा है। इसके तहत एक अध्ययन में मिर्जापुर तक हिलसा मछली के प्रवास को दिखाया गया है। मत्स्यपालन गंगा बेसिन में मछुआरा समुदाय के लिए आजीविका सृजन में सहायता कर रहा है।

वहीं, संस्कृति मंत्रालय ने ‘गंगा संस्कृति यात्रा’ आयोजित करने की कार्य योजना तैयार करने की जानकारी दी। यह यात्रा उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल से होकर गुजरेगी। यह प्रस्तावित यात्रा उत्तराखंड के गंगोत्री से शुरू होगी और पश्चिम बंगाल के गंगा सागर में इसका समापन होगा। इस यात्रा के तहत गंगोत्री से गंगा सागर तक 100 से अधिक विभिन्न स्थानों पर गंगा की सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित किया जाएगा।

इसके अलावा यह बताया गया कि प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए राज्य कृषि विभाग व राष्ट्रीय जैविक और प्राकृतिक खेती केंद्र (एनसीओएनएफ) के समन्वय से कार्यशालाओं की एक श्रृंखला आयोजित की जा रही है। हाल ही में एनएमसीजी ने बुलंदशहर, बिजनौर, हस्तिनापुर, सारण, भोजपुर, बक्सर और समस्तीपुर में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया था।

इस बैठक में जल शक्ति मंत्रालय के जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग के सचिव पंकज कुमार और एनएमसीजी के महानिदेशक जी. अशोक कुमार के साथ केंद्रीय मंत्रालयों, विभागों और संबंधित राज्य सरकारों के वरिष्ठ अधिकारियों ने हिस्सा लिया।

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